जीवनी माझ्या बा अनिरुद्धा श्वासासंगे येत रहा ll धृ ll
खोदून पाया तव कुदळीने गाडूनी टाकी खडे मनीचे
खांब लावूनी नामरूपाचे घर बंधाया येत रहा ll १ ll
तव स्मरणाच्या अखंड भिंती उभ्या होऊ दे चहुबाजूंनी
आवागमना द्वार नकोची घर बंधाया येत रहा ll २ ll
वरती छप्पर तव धाकाचे घट्ट दणकट न उडणारे
आत असावे तू अन मी रे घर बंधाया येत रहा ll ३ ll
नको मजला कुठेही जाणे नको मजला दुसरे येणे
तुझीच पिपासा जीवनी असणे
असे घर तू बांधशील ना ? घर बांधाया येत रहा ll ४ ll
खोदून पाया तव कुदळीने गाडूनी टाकी खडे मनीचे
खांब लावूनी नामरूपाचे घर बंधाया येत रहा ll १ ll
तव स्मरणाच्या अखंड भिंती उभ्या होऊ दे चहुबाजूंनी
आवागमना द्वार नकोची घर बंधाया येत रहा ll २ ll
वरती छप्पर तव धाकाचे घट्ट दणकट न उडणारे
आत असावे तू अन मी रे घर बंधाया येत रहा ll ३ ll
नको मजला कुठेही जाणे नको मजला दुसरे येणे
तुझीच पिपासा जीवनी असणे
असे घर तू बांधशील ना ? घर बांधाया येत रहा ll ४ ll
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|| अभंग 2 ||
तुझ्यासाठी बापू करीतो प्रयास !!
सोडीली मी लाज सर्वस्वाची !!१!!
सुदाम्याचे पोहे तुळशिचे पान !!
ह्याच्यापूढे माझा पाडा काय !!२!!
चिखालाचे हात फुल कैसे वाहू !!
टाळी वाजविन तुझ्या नामी !!३!!
अशुद्ध ही वाणी नाम कैसे घेऊ !!
चाखेन धूळी तुझिया पायी !!४!!
कासाविस झालो पाठी धावताना !!
जालुनी मजला शुद्ध करी !!५!!
पीपा म्हणे मागे पाहता उमगलो !!
बापू धावे माझ्या पाठी पाठी !!६!!
तुझ्यासाठी बापू करीतो प्रयास !!
सोडीली मी लाज सर्वस्वाची !!१!!
सुदाम्याचे पोहे तुळशिचे पान !!
ह्याच्यापूढे माझा पाडा काय !!२!!
चिखालाचे हात फुल कैसे वाहू !!
टाळी वाजविन तुझ्या नामी !!३!!
अशुद्ध ही वाणी नाम कैसे घेऊ !!
चाखेन धूळी तुझिया पायी !!४!!
कासाविस झालो पाठी धावताना !!
जालुनी मजला शुद्ध करी !!५!!
पीपा म्हणे मागे पाहता उमगलो !!
बापू धावे माझ्या पाठी पाठी !!६!!
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|| अभंग 3||
रुसून बसला बापू माझा कोणा कोपर्यात !!
नंदामाई आणा त्याला बले बले परतुन !!१!!
खटयाल हरि हा खोड्या करितो ठकवी जागो जाग !!
परि पकड़ता गुस्सा करतो पलुन जातो खास !!२!!
भूलभूलैया ह्याचा भारी तुला जरी हा दोष !!
तुच दाखवी मार्ग ह्यातुनी तोडुनी सारे कोष !!३!!
नटनाटकी दावी वाकुल्या भिववी छाया रंग !!
पीपा पकडतो पदर तुझा गे दावी मज श्रीरंग !!४!!
रुसून बसला बापू माझा कोणा कोपर्यात !!
नंदामाई आणा त्याला बले बले परतुन !!१!!
खटयाल हरि हा खोड्या करितो ठकवी जागो जाग !!
परि पकड़ता गुस्सा करतो पलुन जातो खास !!२!!
भूलभूलैया ह्याचा भारी तुला जरी हा दोष !!
तुच दाखवी मार्ग ह्यातुनी तोडुनी सारे कोष !!३!!
नटनाटकी दावी वाकुल्या भिववी छाया रंग !!
पीपा पकडतो पदर तुझा गे दावी मज श्रीरंग !!४!!
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|| अभंग 4 ||
मनाची ही वृत्ति , जाई बपूपाशी !!
राहो बापू चरणी नित्य सदा !!१!!
लंगडे प्रारब्ध बहिरेच ज्ञान !!
आंधले कारण नूरो आता !!२!!
अनिरुद्धराया कृपा करी आता !!
प्रेमाच्या प्रवाहा वाहू देई !!३!!
सदा नामघोष आनंदे निर्भर !!
डोलू समाधाने तुझ्या पायी !!४!!
निष्ठावंत भावे सेविता चरण !!
पिपा भाग्यवंत विश्वमाजी !!५!!
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|| अभंग 5||
पुष्प उमलले जे माझे ! वाहिले तुलाची !
तुला तुझे देतानाही ! भरून मीच रही !!ध्रु !!
माझे तरी काय असे ! सर्व तुझेची रे देवा !
तुझे असो तुझ्यापाशी ! मीच होय तुझा !!१!!
बापू बापू माझे गाणे ! अनिरुद्ध ताल !
गाऊ नाचू तुझ्या रंगे ! सदा सर्वकाळ !!२!!
धन्य धन्य झालो आम्ही ! सूखे सर्व ठायी !
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|| अभंग 6||
अनिरुद्ध नामावर प्रेम असे जडू दे रे........
सुकणाऱ्या रोपाला जल तुझे मिळू दे रे !!
रात्रीच्या अंधाराची भीती अशी छळते रे.......
व्यथांच्या जखमांची कळ अशी उठते रे !!१!!
डगमगतो निर्धार निंदावादळवारी रे......
तगमगतो जीव साधा धुर्तांच्या करणी रे !!२!!
पावला पावलासी मी असा पडतो रे....
डोईच्या ओझ्यांनी वृद्ध पिपा थकतो रे !!३!!
सुकले जरी रोप माझे समिधाच व्हाव्या रे...
तुझ्यासाठी सर्व माझे माझ्यासाठी तूच रे !!४!!
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|| अभंग 7||
बापुला माझया प्रेमाची तहान I
बापुला माझया भक्तीचीच भूक II
सकाळी आला उपाशी गेला
दुपारी आला उपाशी राहिला
रातीस आला उपाशी निजला
तरी कसा बापू माझा येतची राहिला II1II
झोपलो होतो ढोग करूनी
बहीराही झालो होतो बोळे घालूनी
कवाडे बंद होती चारी बाजूनी
तरी कसा बापू माझा येतची राहिला II2II
मुखी आली गंगा शेवटच्या क्षणी
जन्मभरी नाही कधी आठवली
ऐसा नरजन्म आम्ही फुका दवडतो
तरी कसा बापू माझा येतची राहतो II3II
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|| अभंग 8||
उडू रे लावूनिया पंखू
माझिया सावळ्या भेटू !!धृ!!
बापू आभाळी दिसतो
झेप मी उंच उंच घेतो
तरी का हाती न येतो
उडू रे उड्ताची राहू !!१!!
पंख हे दुबळे जरी असले
जीवनी पाप भरभरले
तरी का थांबवू उडणे
नाम रे गातची राहू !!२!!
नाम ह्या पंखातची भिनले
प्राणही प्रेमातची उरले
तरी का दर्शन ना झाले
घेवूनी टाळ करी नाचू !!३!!
श्रींचे चरण दिसो लागले
मनाला मरण पै आले
पिपा ला पीस न उरले
सुखाचा झाला अतिरेकू !!४!!
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|| अभंग 9||
हावरा हा भक्तिप्रेमा विके कवडी मोला!!
पारसवी देई साले आवडी नितांत!
राजगृह सोडूनी धावे रंगे गोकुळात!!
सर्व रंग सोडूनी झाला बापू हो सावळा !
श्याम मेघ जीवन देई यासी बापू भुलला !!
मोह याचा सर्व जना ह्यासी मोहविले ज्यांनी !
पिपा शोधतो शबरीला सोडुनिया अन्नपाणी !!
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सुकराचे लेकुरे मस्त वोरडा घातिला !
|| अभंग 10||
सुकराचे लेकुरे मस्त वोरडा घातिला !
चिखलाच्या नंदनवनी त्यासी आनंद जाहला !!
सर्व अंग माखुनिया मस्त लोळे विष्टेमाजी !
कोणी जवळी ना करी , नाही लाज त्याची धरी !!
पशुजन्मी भोगयोनी त्यासी सुटका हो कैसी !
तुवा मिळाला नरजन्म ,सांडू नको ऐसा व्यर्थ !!
बापू भक्तीवीण नाही, दुजे सार ह्या जीवनी !
पिपा लोळत होता मळी, त्यासी उद्धार्लीले झणी !!
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साई मागे दोन नाणी मी दिले सूचित समीर
|| अभंग 11||
साई मागे दोन नाणी मी दिले सूचित समीर
साई होऊनिया हो बापू ,प्रगटला मज समोर !!१!!
घेउनिया दोन नाणी , मज दिधली खनक खाणी ,
बहिण दोन भावांची कन्या झाली नंदाराणी !!२!!
माझी पुरवली पिपासा ,भक्ती घालोनिया ओटी,
ह्या अनिरुद्ध रामाची सकळ प्रेमाची हो करणी!!३!!
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नारळीचे झाडाखाली ! बैसता निवांत !
Sources : Various Groups Of Facebook
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|| अभंग 12||
नारळीचे झाडाखाली ! बैसता निवांत !
टपकून फोडे डोई ! हे न ओळखीत !! धृ !!
कल्पवृक्ष देई सारे! परी नेदी छाया !
ऐसी जाण उणी माया! नसे ह्याच्या पाया !
पिपा म्हणे सोडा कल्प ! सोडा कल्पवृक्ष !
एक नाम अनिरुद्ध ! होई सर्व सिद्ध !!
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Sources : Various Groups Of Facebook
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